कथा है ये यमलोक की,
लहर दौड़ गयी थी शोक की,
कारण था यमलोक का executive engineer,
जो समय से पहले काल का ग्रास हो गया,
और लेटेस्ट जोब्स में उसका पद खास हो गया..
ब्रह्माण्डलीय मंदी के चलते,
ना चाहते ही भी यमराज ने निर्णय लिया,
और एक experienced engineer भारतवर्ष से बुला लिया,
भारत सरकार इससे बेहद परेशान थी,
उसके बनाये सडकें और पुल देखकर हैरान थी..
हैरान यूँ थी की उद्घाटन से पहले ही पुल गिर जाते थे,
और कमीशन भी engineer साहब खुद डकार जाते थे..
सडकें उखड गई ? चलो कोई बात नहीं..
ये कोन सी किसी के बाप की संपत्ति थी..?
पर सारा कमीशन खुद डकार जाए नेताओ को इसमें बड़ी आपत्ति थी..
इसलिए जल्दी से यमलोक में जुगाड़ लगाया
और engineer साहब को join letter थमाया.
जैसे- तैसे engineer साहब का यमलोक में आगमन हुआ..
दिल की गहराईयों से उनका स्वागत हुआ..
यमराज बोले- engineer साहब,
यहाँ डरने से कोई काम नहीं होता है..
यहाँ तो जिंदगी से रिटायर होने के बाद भी हिसाब-किताब होता है..
एक दिन यमराज engineer से मिलने आये.
और सरकारी फ्लैट का द्रश्य देख घबराए
द्रश्य था की पांच लोग फूलों की क्यारियों में पानी दे रहे थे,
चार मजदूर बंगले की सफाई कर रहे थे
गाड़ियों की तो आवास पर लाइन लगी थी..
और ड्राईवरो को पत्ते खेलने से फुर्सत नहीं थी..
लगभग इतने ही लोग किचिन में चिकन बना रहे थे
कुछ सरकारी आदमी सरकारी कुत्तों को नहला रहे थे..
यमराज गुस्से से भर गए,
और सरकारी आवास में घुस गए
अन्दर का दृश्य तो और भी विचित्र था..
P.A. लगा रहा था engineer के उबटन जैसा कोई चित्र था..
यमराज ने गुस्से में कह दिया,
माफ़ कीजिये बहुत सह लिया..
हम पृथ्वी से engineer बुला रहे है,
वो हमारे ही आदमियों को काम पर लगा रहे है..
आवास के बहार गाड़ियों की लाइन देख चकरा रहा हूँ,
मैं बुद्धू हूँ जो युगों से भैंसे से काम चला रहा हूँ.
तेरे जैसे इन्सान के लिए एक हल निकला है..
पूर्व स्वर्गीय engineer से तेरे खाते को exchange करने का ख्याल आया है
तू सुधरेगा नहीं ये मैं जानता हूँ..
आदत से मजबूर भारतीय है ये मैं मानता हूँ
तेरी दुकानदारी अब यहाँ नहीं चलेगी..
समस्त घोटालों कि सजा तुझको ही मिलेगी..
समस्त घोटालों कि सजा तुझको ही मिलेगी..
सादर : अनन्त भारद्वाज