Wednesday, August 10, 2011

“ प्यार का हर एहसास ”

 


प्यार का हर एहसास  तेरी पलकों पर सजा दूंगा,
हर आंसू सोचता है  कि इन्हें पल में भिगा दूंगा ...
तू बस याद रख इतना कि आंसू बन नहीं पाएं,
मैं इनके कारखानों में इतनी हवा दूंगा....

प्यार का हर एहसास...........  

तुझे तेरी सहेली की कहानी भी रुलाती है,
और उस फटेहाल भिखारी पर दया भी खूब आती है..
कुछ कदम साथ चलकर ही तू साथ जो दे दे..,
आज फिर से इस जग को मैं इतना हँसा दूंगा...
प्यार का हर एहसास...........  

लबों ने क्या बिगाड़ा है, इन्हें इतना सताती है,                                  
इन्हें कुछ बोलना है आज, दिल क्यूँ दुखाती है ?
कंठ भी सूख जाये तेरा, अधरों को इतना थका दे....                                    
तेरी खातिर भगीरथ बन गंगा भी ला दूंगा.
प्यार का हर एहसास...........
 
सादर: अनन्त भारद्वाज

1 comment:

Dr.Sushila Gupta said...

लबों ने क्या बिगाड़ा है, इन्हें इतना सताती है,
इन्हें कुछ बोलना है आज, दिल क्यूँ दुखाती है ?
कंठ भी सूख जाये तेरा, अधरों को इतना थका दे....
तेरी खातिर भगीरथ बन गंगा भी ला दूंगा.
प्यार का हर एहसास...........
 saras, bhavantmak prastuti.

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