तेरी यादें ही मेरे लिए खास है..
मेरे पास तो मेरा कुछ भी नहीं,
ये जिस्म खुदा का और तेरी दी सांस है;
दूर जाकर भी तू मेरे .............
जानता हूँ बखूबी तेरा लौटना है मुश्किल
फिर क्यूँ आज भी तेरे आने की आस है ?
दूर जाकर भी तू मेरे .............
लोग कहते है बेवफा है तू,
मेरी वफ़ा आकर बता दे सब बकवास है..
दूर जाकर भी तू मेरे .............
कल तक था जो फूल गुलाब का, आज वो पलास है ,
क्यूंकि तू थी साथ में, और आज तेरी ही तलास है..
दूर जाकर भी तू मेरे .............
सादर: अनन्त भारद्वाज
No comments:
Post a Comment