Wednesday, June 06, 2012

आँखें

उन खूबसूरत आँखों की प्रतीक्षा में ये प्रतीक्षारत आँखें 


आँखें

बहुत खूबसूरत हैं ये आँखें तुम्हारी,
इन आँखों पे टिकती नज़र है हमारी |

कदम दर कदम, झील में है उतरना,
हो चाहत डुबोने की, फिर क्या संभलना ?
इनकी गहराईयों में है, जन्नत हमारी,
बहुत खूबसूरत हैं ये आँखें तुम्हारी,
इन आँखों पे टिकती नज़र है हमारी |

इनके आंसू भी अब जैसे गंगा समान  ,
पलकें झुकते ही लगतीं हैं पीर का ज्ञान |
बना दीजिये हाँ, अब तो ये किस्मत हमारी,
बहुत खूबसूरत हैं ये आँखें तुम्हारी,
इन आँखों पे टिकती नज़र है हमारी |

नज़रों को तुम यूँ न ऐसे घुमाओ,
खड़ा पास हूँ, अब तो दिल में बसाओ |
इन आँखों से दिल तक हैं राहें हमारी,
बहुत खूबसूरत हैं ये आँखें तुम्हारी,
इन आँखों पे टिकती नज़र है हमारी |

सादर : अनन्त भारद्वाज

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