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उन प्यार करने वालों के नाम जिन्हें अपनी बीती ग़ज़ल हर रोज याद आती है,
और दिल भूलना चाहता है उस परी को,
पर आँखें भी.. क्यूँ हर दिन अज़ीब से मंज़र दिखाती है,
कि उसकी यादों की ओढ़नी रोज़ कुछ घटनाओ के सहारे उडी चली आती है,
उन्ही छोटी - छोटी प्यार भरी घटनाओ को समेटती एक कविता "स्म्रतियां
4. कुछ नयी गज़लें : एक कवि सम्मेलन के दौरान (हिंदी दिवस - १४ सितम्बर २०१२)
पर आँखें भी.. क्यूँ हर दिन अज़ीब से मंज़र दिखाती है,
कि उसकी यादों की ओढ़नी रोज़ कुछ घटनाओ के सहारे उडी चली आती है,
उन्ही छोटी - छोटी प्यार भरी घटनाओ को समेटती एक कविता "स्म्रतियां
4. कुछ नयी गज़लें : एक कवि सम्मेलन के दौरान (हिंदी दिवस - १४ सितम्बर २०१२)
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