Tuesday, August 30, 2011

यमलोक में engineer साहब
















कथा है ये यमलोक की,
लहर दौड़ गयी थी शोक की,
कारण  था यमलोक का executive engineer,
जो समय से पहले काल का ग्रास हो गया,
और लेटेस्ट जोब्स में उसका पद खास हो गया..
ब्रह्माण्डलीय मंदी के चलते, 
ना चाहते ही भी यमराज ने निर्णय लिया, 
और एक experienced engineer भारतवर्ष  से बुला लिया,
भारत सरकार इससे बेहद परेशान थी, 
उसके बनाये सडकें और पुल देखकर हैरान थी..
हैरान यूँ थी की उद्घाटन से पहले ही पुल गिर जाते थे, 
और कमीशन भी engineer साहब  खुद डकार  जाते थे..
सडकें उखड गई ? चलो कोई बात नहीं..
ये कोन सी किसी के बाप की संपत्ति थी..?
पर सारा कमीशन खुद डकार जाए नेताओ को इसमें बड़ी आपत्ति थी..

इसलिए जल्दी से यमलोक में जुगाड़ लगाया 
और engineer साहब को join letter  थमाया.
जैसे- तैसे engineer साहब का यमलोक में आगमन हुआ..
दिल की गहराईयों से उनका स्वागत हुआ.. 
यमराज बोले- engineer साहब,
यहाँ डरने से कोई काम नहीं होता है..
यहाँ तो जिंदगी से रिटायर होने के बाद भी हिसाब-किताब होता है..


एक दिन यमराज engineer से मिलने आये.
और सरकारी फ्लैट का द्रश्य देख घबराए
द्रश्य था की पांच लोग फूलों की क्यारियों में पानी दे रहे थे,
चार मजदूर बंगले की सफाई कर रहे थे
गाड़ियों की तो आवास पर लाइन लगी थी..
और ड्राईवरो को पत्ते खेलने से फुर्सत नहीं थी..
लगभग इतने ही लोग किचिन  में चिकन बना रहे थे
कुछ सरकारी आदमी सरकारी कुत्तों को नहला  रहे थे..


यमराज गुस्से से भर गए,
और सरकारी आवास में घुस गए
अन्दर का दृश्य तो और भी विचित्र था..
P.A. लगा रहा था engineer के उबटन जैसा कोई चित्र था..
यमराज ने गुस्से में कह दिया,
माफ़ कीजिये बहुत सह  लिया.. 
हम पृथ्वी से engineer  बुला रहे है,
वो हमारे ही आदमियों को काम पर लगा रहे है..
आवास के बहार गाड़ियों की  लाइन देख चकरा रहा हूँ,
मैं बुद्धू हूँ जो युगों से भैंसे से काम चला रहा हूँ.
 तेरे जैसे इन्सान के लिए एक हल निकला है..
पूर्व स्वर्गीय engineer से तेरे खाते को exchange करने का ख्याल आया है
तू सुधरेगा नहीं ये मैं जानता हूँ..
आदत से मजबूर भारतीय है ये मैं मानता हूँ
तेरी दुकानदारी अब यहाँ नहीं चलेगी..
समस्त घोटालों कि सजा तुझको ही मिलेगी..
समस्त घोटालों कि सजा तुझको ही मिलेगी..


सादर : अनन्त भारद्वाज       

Wednesday, August 10, 2011

“ प्यार का हर एहसास ”

 


प्यार का हर एहसास  तेरी पलकों पर सजा दूंगा,
हर आंसू सोचता है  कि इन्हें पल में भिगा दूंगा ...
तू बस याद रख इतना कि आंसू बन नहीं पाएं,
मैं इनके कारखानों में इतनी हवा दूंगा....

प्यार का हर एहसास...........  

तुझे तेरी सहेली की कहानी भी रुलाती है,
और उस फटेहाल भिखारी पर दया भी खूब आती है..
कुछ कदम साथ चलकर ही तू साथ जो दे दे..,
आज फिर से इस जग को मैं इतना हँसा दूंगा...
प्यार का हर एहसास...........  

लबों ने क्या बिगाड़ा है, इन्हें इतना सताती है,                                  
इन्हें कुछ बोलना है आज, दिल क्यूँ दुखाती है ?
कंठ भी सूख जाये तेरा, अधरों को इतना थका दे....                                    
तेरी खातिर भगीरथ बन गंगा भी ला दूंगा.
प्यार का हर एहसास...........
 
सादर: अनन्त भारद्वाज

Saturday, August 06, 2011

“ चला एक रोज़ महखाना ”

तुझे जितना भुलाता हूँ, तू उतना याद आती है,
तेरी यादों को लेकर मैं , चला एक रोज़ महखाना  .

मैं पंछी हूँ, परिंदा  हूँ, पर ये ना सोच लेना तुम ,
कि मौसम के बदलते ही  मुझे एक रोज़ उड़ जाना ,
तेरी यादों को लेकर  मैं .............

ज़िन्दगी साथ जीने के वादों का क्या सिला होगा ?
जो तुमसे दूर होकर के मुझे एक रोज़ मार जाना .
तेरी यादों को लेकर  मैं .............

जो वो मुझको समझती है कोई जुगनू पतंगा ,
वो क्या जाने की चौखट का दिया है एक अफसाना  .
तेरी यादों को लेकर  मैं .............

तेरी राहों को यूँ तकते मेरी सारी उम्र ढल गई ,
ना यूँ खामोश  रहकर के मुझे अब और तडपना .
तेरी यादों को लेकर  मैं .............
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